It's about my Notes on Gita.
सञ्जय उवाच
दृष्ट्वा तु पाण्डवानीकं व्यूढं दुर्योधनस्तदा।।
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युयुधानो विराटश्च द्रुपदश्च महारथः।।४।। (अध्याय १, श्लोक ४) ***
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