Wednesday, 14 August 2024

1-3-1

पश्यैतां पाण्डुपुत्राणामाचार्य महतीं चमूम्।।

अध्याय १ श्लोक ३,

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Tuesday, 13 August 2024

1-2-2

आचार्यमुपसङ्गम्य राजा वचनमब्रवीत्।।

अध्याय 1, श्लोक 2,

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1-2-1

सञ्जय उवाच 

दृष्ट्वा तु पाण्डवानीकं व्यूढं दुर्योधनस्तदा।।

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1-1-2

मामकाः 

धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता युयुत्सवः।।

मामकाः पाण्डवाश्चैव किमकुर्वत सञ्जय।।१।।

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1-1-1

धर्मक्षेत्रे 

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धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता युयुत्सवः ।।

मामकाः पाण्डवाश्चैव किमकुर्वत सञ्जय।।१।।

४ शब्द,  4 words. 

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Sunday, 18 February 2024

1/1 धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे

अध्याय १ श्लोक १

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धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता युयुत्सवः।।

मामका पाण्डवाश्चैव किमकुर्वत सञ्जय।।१।।

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अधिक विस्तार से जानने के लिए मेरा गीता से संबधित अन्य ब्लॉग देख सकते हैं।

यह ब्लॉग प्रारंभ करने का प्रयोजन केवल इतना ही है कि श्रीमद्भगवद्गीता को अध्याय और श्लोक के अनुसार क्रमबद्ध रूप से एक स्थान पर उपलब्ध किया जा सके। 

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Sunday, 21 January 2024

Arjuna अर्जुन

Arranged Orderly. 

I've already the following blog about

 Shrimadbhagvadgita / श्रीमद्भगवद्गगीतावद्गीता

That is quite useful enough for me but looks to be rearranged / managed, and in order to look for a ready-reference also I need a new one, so I am starting this one. I'm thinking of writing the post in the sequence of the order of the chapters and the stanzas according to the original text.

This first post is however in the traditional way of beginning a sacred text.

पार्थार्जुनकौन्तेयगुडाकेशः धनञ्जय।।

भरतर्षभपरन्तपमहाबाहुः शत्रुञ्जयः।।

अहिंसासत्यास्तेयब्रह्मचर्यापरिग्रहाः।।

पञ्चैते धर्माः स्युः यमाः ये योगनिगदिताः।।

पार्थ, अर्जुन, कौन्तेय, गुडाकेश और धनञ्जय अर्जुन के उपरोक्त प्रसिद्ध नाम हैं जिन्हें श्रीमद्भगवद्गीता में पर्याय के रूप में वर्णन है। पृथा (कुन्ती-पुत्र) होने से यह अर्जुन के शारीरिक स्वरूप का द्योतक है। अर्जुन शब्द हृदय का द्योतक है जिसका हृदय शुद्ध है, इसे आयुर्वेद में वर्णित अर्जुन नामक वनस्पति के सन्दर्भ में भी देखा जा सकता है जिसे ओषधि के रूप में हृदयदौर्बल्य के उपचार हेतु प्रयोग किया जाता है - और गीता में "क्षुद्रं हृदयदौर्बल्यं" से भी इसकी तुलना की जा सकती है। कौन्तेय, कुन्ती के पाँचों पुत्रों के लिए प्रयोग किया जा सकता है, किन्तु अर्जुन के सन्दर्भ में पञ्चमहाभूतों, पाञ्चभौतिक देह और संघातश्चेतना स्मृतिः के सन्दर्भ में मन के संदर्भ में भी देख सकते हैं। गुडाकेशः का अर्थ है जिसका निद्रा पर वश है। निद्रा किस अर्थ में? आध्यात्मिक जागृति के अर्थ में 

या निशा सर्वभूतानां तस्यां जागर्ति संयमी।।

यस्यां जाग्रति भूतानि सा निशा पश्यतो मुनेः।।

(पिछले ६ मास से मेरे अपने सभी पुस्तक और ग्रन्थ मुझे उपलब्ध न होने से सब कुछ केवल स्मृति के ही आधार पर लिख रहा हूँ इसलिए बहुत संभव है कि मुझसे कुछ त्रुटियाँ न चाहते हुए, अनजाने भूल से भी हो जाएँ, अतः क्षमाप्रार्थी हूँ।)

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1-6 / १-६

युधामन्युश्च  -- युधामन्युश्च विक्रान्त उत्तमौजाश्च वीर्यवान्।  सौभद्रो द्रौपदेयाश्च सर्व एव महारथाः।।६।। ***